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यूरोप में ट्रेडिंग के लिए रणनीतियाँ और जोखिम व्यवस्था की तकनीकें

Forex मार्केट क्या हैं?

चलिए जानते है की फ़ॉरेक्स मार्केट क्या हैं। फ़ॉरेक्स मार्केट वैश्विक वित्तीय मार्केट का हिस्सा है जहां मुद्राऐ ट्रेंड की जाती है। फ़ॉरेक्स मार्केट का वित्तीय मार्केट में सबसे ज्यादा टर्नओवर है। मार्केट में मुद्राएं जोड़ियों में ट्रेड की जाती हैं, यानी आप जोड़ी की एक मुद्रा बेचकर दूसरी मुद्रा प्राप्त करते हैं। जोड़ी में एक बेस मुद्रा और एक कोट मुद्रा होती है। बेस मुद्रा आमतौर पर पहले रिकॉर्ड की जाती है और अधिक मूल्यवान होती है, जबकि कोट मुद्रा दूसरी होती है और बेस मुद्रा से कम मूल्यवान होती है। मुद्रा जोड़ी की एक्सचेंज रेट की धारणा बेस मुद्रा की एक श्रेणी खरीदने के लिए आवश्यक कोट मुद्रा की राशि के बराबर होती है। उदाहरण के लिए, EUR/USD मुद्रा जोड़ी की एक्सचेंज रेट एक यूरो खरीदने के लिए आवश्यक अमरीकी डॉलर की संख्या के बराबर होगी।

मार्केट में आते उतार चढ़ाव से एक्सचेंज दर में बदलाव आता है जिससे ट्रेडर कमाई करते हैं। ट्रेडर का लक्ष्य स्टॉक को कम मूल्य पर खरीदकर उच्चतम मूल्य पर बेचना होता है, और दोंनो के बिच का अंतर मुनाफ़ा होता है।

फ़ॉरेक्स मार्केट 24 घंटे खुला रहता है क्योंकि इसमें चार मुख्य सत्र होते हैं। जब एक सत्र समाप्त होता है, तो दूसरा शुरू होता है। मुख्य मार्केट सत्र कुछ इस तरह हैं: एशियाई सत्र (11 pm से 8 am GMT तक); यूरोपीय सत्र (7 am से 4 pm तक); अमरीकी ट्रेडिंग सत्र (1 pm से 10 pm तक) और पेसिफिक सत्र (10 pm से 7 am तक)। इन ट्रेडिंग सत्रों की शुरुआत और समाप्ति पर ये सत्र ओवरलैप होते हैं।

Forex मार्केट किससे प्रभावित होता हैं?

मार्केट में आने वाले उतार-चढ़ाव आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के कारकों से प्रभावित होते हैं।

"ब्याज दर एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारक है। केंद्रीय बैंक ब्याज दर को बढ़ा सकती है और कम भी कर सकती हैं, जो सीधे विदेशी निवेशकों के लिए देश की आकर्षकता पर प्रभाव डालता है। ब्याज दर की वृद्धि से विदेशी निवेशको का बहाव कम हो जाते है, जिससे राष्ट्रीय मुद्रा मजबूत होती है और उसका दर बढ़ता है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ब्याज दर को घटा या बढ़ा नहीं सकती। दर सिर्फ विनिमय दर को ही नहीं बल्कि महँगाई, बेरोजगारी आदि के स्तर को भी प्रभावित करता है। दर में बढ़ोतरी से बेरोजगारी भी बढ़ सकती है क्योंकि कर्ज के ब्याज में भी बढ़ोतरी होगी (व्यवसायों के सहित)। इसलिए, मार्केट को प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक देशों की सामान्य आर्थिक स्थिति है।"

संसाधन मूल्य मार्केट में गति ला सकते हैं क्योंकि कुछ देशों की अर्थव्यवस्थाएं संसाधनों की बिक्री पर आधारित होती हैं, इसलिए कुछ संसाधनों के मूल्य में बढ़ोतरी मुद्रा को मजबूत करती है, और गिरावट मुद्रा को कमजोर करती है। उदाहरण के लिए, कच्चे तेल की कीमतों में उतार -चढ़ाव के आधार पर कैनेडियन डॉलर के विनिमय दर में उतार-चढ़ाव आएगा।

फ़ॉरेक्स मार्केट का बड़ा हिस्सा देशों की निर्यात और आयात के संतुलन से अधिक प्रभावित होता है। यदि निर्यात आयात से अधिक होता है, तो इसका अर्थ है कि देश के उत्पादों की मांग है। इसका अर्थ है कि देश में विदेशी मुद्राओं का बहाव है, जो बदले में मुद्रा को मजबूत करता है।

देश में राजनीतिक स्थिति और अन्य देशों के साथ उनके संबंध विनिमय दर को बहुत प्रभावित कर सकते हैं। अंततः, सत्ता में एक नई राजनीतिक शक्ति के आने से अर्थव्यवस्था नीति में बदलाव हो सकते हैं और आर्थिक संकेतकों पर प्रभाव डाल सकते हैं।

साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय टकराव के कारण देशों पर प्रतिबंध लागू हो सकते हैं, जिससे विनिमय दर कमजोर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। और बेशक, मुद्रा की आपूर्ति और मांग में उतार-चढ़ाव के कारण मार्केट पर प्रभाव पड़ता है, इस कारण मार्केट के बड़े खिलाड़ी मार्केट की स्थिति काफी हद तक बदल सकते हैं।

फ़ॉरेक्स मार्केट पर ट्रेडिंग सत्रों की ख़ासियतें

हर ट्रेडिंग सत्र की अपनी ख़ासियतें होती हैं। चलिए इन्हें अधिक विस्तार से देखते हैं।

यूरोपीय सत्र को लंदन सत्र भी कहा जाता है। यूरोपीय सत्र को सबसे सक्रिय माना जाता है क्योंकि यूरोपीय सत्र के कामकाजी घंटों के दौरान सबसे बड़ी संख्या में लेनदेन आयोजित किए जाते हैं। लंदन सत्र में फ़ॉरेक्स मार्केट के कुल टर्नओवर का लगभग 35% हिस्सा होता है। शुरुआत में, लंदन सत्र टोक्यो सत्र के साथ ओवरलैप होता है। एशियाई सत्र तुलनात्मक रूप से शांत होता है, इसलिए जब लंदन सत्र शुरू होता है, यूरोपीय एक्सचेंज खुलते हैं और उतार-चढ़ाव तेजी से बढ़ता है। इससे जोखिम बढ़ता है क्योंकि कम समय में मुद्रा दरों में बहुत बदलाव होते हैं। लेकिन उसी समय, अधिकतम अस्थिरता संभावित मुनाफ़े को भी बढ़ाती है।

अंत में, जब यूरोपीय सत्र और अमरीकी सत्र एक साथ चलते है, इस अवधि के दौरान (जो चार घंटे तक रहती है), मार्केट में लिक्विडिटी बहुत ज्यादा होती है।

इस सत्र के दौरान प्रमुख जोड़े बहुत लोकप्रिय होते हैं और उन पर अतिशय वॉल्यूम में ट्रेड होते हैं, इसलिए उन जोड़ो का ट्रेड कम स्प्रेड के साथ होता है।

अमरीकी फ़ॉरेक्स सत्र यूरोपीय फ़ॉरेक्स सत्र के बाद कार्य पूंजी में दूसरा सबसे बड़ा सत्र है। अमरीकी सत्र की शुरुआत लंदन सत्र के अंत के साथ मेल खाती है। अमरीकी बैंकों और स्टॉक एक्सचेंज के काम से मार्केट की स्थिति प्रभावित होती है। न्यूयॉर्क सत्र को सबसे आक्रामक सत्र माना जाता है। यह सत्र समाचारों के जारी होने से अधिक प्रभावित होता है, इसलिए मूल्य में बढ़े पैमाने पर बदलाव हो सकते हैं।

अमरीकी सत्र के दौरान ट्रेडिंग के लिए सबसे लाभदायक मुद्रा जोड़ी वो हैं जिनमें सिर्फ अमरीकी डॉलर ही नहीं बल्कि कैनेडियन डॉलर, साथ ही यूरो और ब्रिटिश पाउंड भी शामिल हैं। इस सत्र के दौरान सबसे अधिक उतार-चढ़ाव यूरोपीय बैंकों के बंद होने के समय देखा जाता है। शुक्रवार की शाम मार्केट में गतिविधि कम रहती है।

यूरोपीय या अमरीकी सत्र की तुलना में एशियाई फ़ॉरेक्स सत्र में ट्रेड की मात्रा कम होती है। इसकी शुरुआत पैसिफिक फ़ॉरेक्स सत्र की समाप्ति के साथ मेल खाती है। इस सत्र को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला देश जापान है। सत्र की शुरुआत में, इस देश के सभी आर्थिक रिपोर्ट और आंकड़े जारी किए जाते हैं। इस फ़ॉरेक्स सत्र में ट्रेड करने के लिए सबसे लोकप्रिय जोड़ी जिनमें जापानी येन, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और न्यूजीलैंड डॉलर शामिल होते हैं। लेकिन जैसा कि हर फ़ॉरेक्स सत्र में होता है, इसमें भी सबसे लोकप्रिय जोड़ी EUR/USD है।

यूरोपीय या अमरीकी ट्रेडिंग सत्र की तुलना में, टोक्यो फ़ॉरेक्स सत्र आमतौर पर ट्रेडर्स को कम लिक्विडिटी प्रदान करता है क्योंकि इसमें ट्रेडिंग की मात्रा कम होती है। टोक्यो सत्र के दौरान आमतौर पर कोई मजबूत उतार-चढ़ाव नहीं होते, और मार्केट मध्यम तीव्रता वाला माना जाता है।

प्रमुख सत्रों में सबसे कम ट्रेडिंग पैसिफ़िक फ़ॉरेक्स सत्र में होती है। सिडनी सत्र सबसे कम सक्रिय होता है, इसलिए इसे नए ट्रेडर्स के लिए सिखने का एक अवसर समझा जाता है क्योंकि विनियम दर में तेज उतार-चढ़ाव का जोखिम कम होता हैं। इस ट्रेडिंग सत्र के दौरान अस्थिरता काफी कम होती है। कम ट्रेड वॉल्यूम के कारण, इस सत्र में कम लिक्विडिटी उपलब्ध होती है। सिडनी सत्र के दौरान ट्रेड करने के लिए सबसे लोकप्रिय जोड़े वे हैं जिनमें ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, न्यूजीलैंड डॉलर और जापानी येन शामिल होते हैं।

यूरोपीय ट्रेडिंग सत्र के दौरान ट्रेड के लिए सबसे अच्छे मुद्रा जोड़े

लंदन ट्रेडिंग सत्र के दौरान, पुरे यूरोप के बैंक अपना काम शुरू करते हैं। इस तरह, यूरोपीय संघ में यूरोपीय देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं का ट्रेड बढ़ता है। लंदन सत्र के खुलने के बाद मूल्य में सबसे ज्यादा गतिविधि देखि जाती है। इसलिए, सबसे अधिक अस्थिरता वाले जोड़ो में ब्रिटिश पाउंड, स्विस फ़्रैंक और यूरो शामिल होते हैं। इस सत्र के दौरान सबसे लोकप्रिय जोड़ो की सूची:

  • EUR/USD
  • GBP/USD
  • USD/JPY
  • USD/CHF
  • EUR/JPY
  • GBP/JPY

यूरोपीय फ़ॉरेक्स सत्र के लिए सबसे अच्छी रणनीतियाँ

ऐसा माना जाता है कि यूरोपीय फ़ॉरेक्स सत्र के दौरान उपयोग करने के लिए सबसे अच्छी रणनीति ब्रेकआउट रणनीति है। इस नाम के अनुसार, ट्रेडर मुद्रा की एक निश्चित कीमत का टूटने का इंतजार करते हैं। अर्थात, ट्रेडर एक मजबूत आवेग का इंतजार कर रहे होते हैं जो उन्हें सूचित करेगा कि सौदा करने का सही अवसर आ गया है। फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स आमतौर पर स्टॉप और लिमिट ऑर्डर जैसे ट्रेलिंग ऑर्डर उपकरणों का उपयोग करते हैं ताकि ट्रेड को कब बंद करना है यह निर्धारित कर सकें।

ट्रेडर पिछले सपोर्ट स्तर से नीचे स्टॉप ऑर्डर रखते हैं (यह वह मूल्य स्तर होता है जिस पर मुद्रा का मूल्य अस्थायी रूप से रुक जाता है और आगे नहीं बढ़ता) या सपोर्ट स्तर से ऊपर स्टॉप ऑर्डर रखते हैं (सपोर्ट स्तर, यह बराबर सपोर्ट वेल्यू के विपरीत होता है। इस स्तर पर कीमतों को खरीदारों द्वारा समर्थन किया जाता है)।

निष्कर्ष

लंदन Forex सत्र मुनाफे के लिए शानदार अवसर प्रदान करता है। अनुभवी ट्रेडर्स इस विशेष सत्र को ज्यादा लिक्विडिटी, कम स्प्रेड और मार्केट गतिविधि के कारण चुनते हैं। इस सत्र में उपयोग के लिए उचित रणनीतियों में ब्रेकआउट रणनीति है।

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