जबसे ट्रेडिंग ऑनलाइन हो गई है तबसे ट्रेडर्स ऑनलाइन फोरम्स और दूसरी स्पेशल सर्विसेज पर बातचीत करने लगे हैं। कुछ ट्रेडर्स अपने से कम अनुभव वालों को सिखाते हैं कि ट्रेडिंग से कैसे कमाया जा सकता है, जोखिम कैसे कम किया जा सकता है, और ट्रेडिंग में अपना करियर कैसे बनाया जा सकता है। इस ट्रेंड को सोशल ट्रेडिंग कहते हैं।
सोशल ट्रेडिंग क्या है?
क्या आपने कभी इनफ्लुएंसर्स के बारे में सुना है? हमारी सोशल नेटवर्क की दुनिया में लोग एडवरटाइजिंग को नजरअंदाज कर सकते हैं, लेकिन वे फेमस ब्लॉगर्स और दूसरे इंटरनेट अथॉरिटीज पर पूरी तरह भरोसा करते हैं। हर रोज आम लोग सोशल नेटवर्क पर अपने आदर्श को फॉलो करते हैं। इस विश्वास को कमर्शियलाईज होने मे कुछ समय लगा और इनफ्लुएंसर्स पावरफुल मार्केटिंग टूल्स में बदल गए।
ट्रेडिंग की दुनिया के भी अपने इंफ्लुएंसर्स है। उदाहरण के लिए एलोन मस्क अपनी हर ट्वीट से फाइनैंशल मार्केट में भूकंप ले आते हैं। लेकिन फाइनेंशियल मार्केट में इनफ्लुएंसर्स का इंपैक्ट केवल मस्क के फॉलोअर्स के रिएक्शन तक ही सीमित नहीं है।
फॉरेक्स मे सोशल ट्रेडिंग क्या है?
फॉरेक्स ट्रेडर्स भी लोग हैं जो सोशल वैक्यूम में एक्सिस्ट नहीं करते। वे अपने पीयर्स के साथ एक्सपीरियंस एक्सचेंज करने और लकी वाइब्स के लिए कम्युनिकेट करते हैं। कुछ यंग ट्रेडर्स अपने सक्सेसफुल कलीग्स को फॉलो करते हैं और उनकी सक्सेस को रिपीट करने के लिए उनकी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजिस और मेथड्स को फॉलो करते हैं। इस तरह की ट्रेडिंग को सोशल ट्रेडिंग कहा जाता है।
सोशल ट्रेडिंग कैसे काम करती है
सोशल ट्रेडिंग का मतलब यह नहीं होता है कि आपकी ट्रेडिंग और आपके पैसे की जिम्मेदारी कोई और लेगा। बाकी ट्रेडर्स आपके फॉरेक्स इन्वेस्टमेंट को मैनेज कर सकते हैं। हम कई सालों से फॉरेक्स मार्केट में अकाउंट मैनेजमेंट के बारे में जानते हैं। ज्यादा प्रॉफिट और एक बड़ा अमाउंट इकट्ठा करने के लिए एक ट्रेडर कई सारे अकाउंट्स को ऑपरेट कर सकता है। लेकिन अगर आप अपने पैसे को किसी और को देंगे, तो अनजाने और अस्पष्ट कारणों की वजह से भी आपको नुकसान हो सकते हैं।
सोशल ट्रेडिंग सिस्टम में हर फॉरेक्स ट्रेडर के पास सभी ऑपरेशन और हर इन्वेस्टमेंट एस्पेक्ट का पूरा कंट्रोल होता है। एक सोशल ट्रेडर डिसाइड कर सकता है कि किसे फॉलो करना है, डील या स्ट्रेटजी को कॉपी करना है और कहां से शुरू और खत्म करना है।
अगर ट्रेडिंग में करियर शुरू करना है तो एक नए ट्रेडर के लिए फॉरेक्स में सोशल ट्रेडिंग करना एक कम कॉम्प्लिकेटेड तरीका है। किसी भी ट्रेडिशनल तरीके के मुकाबले इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न भी काफी ज्यादा है पर इसके लिए थोड़ी तैयारी और एक नॉनस्टॉप लर्निंग प्रोसेस की जरूरत है।
सोशल ट्रेडिंग के फायदे क्या है?
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आसान शुरुआत
बाकी दूसरी तरह की ट्रेडिंग में मार्केट एंटर करने से पहले काफी सॉलिड थ्योरीटिकल नॉलेज की जरूरत होती है। पर एक नए ट्रेडर के लिए एक्सपर्ट्स को कॉपी करना ही सबसे अच्छी एजुकेशन होती है।
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कम्युनिटी का सपोर्ट
हर सोशल इनीशिएटिव की तरह ही सोशल ट्रेडिंग ट्रेडर्स की कम्युनिटी और रिलेशनशिप पर आधारित है। एक न्यू कमर इंफॉर्मेशन और इमोशनल सपोर्ट ले सकता है।
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भीड़ की बुद्धिमत्ता
हर नए इंसान के सामने कभी न कभी ऐसी सिचुएशन होती है जब किसी बुद्धिमान पियर की एडवाइस उन्हें बचा सकती है। सोशल ट्रेडिंग में, जब कोई नया ट्रेडर किसी भी चैलेंजिंग मोमेंट में होता है, तो उसके पास कई सारे पियर्स और उनकी बुद्धिमत्ता का एक्सेस होता है।
सोशल ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?
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केयर लेस रिलैक्सेशन
सबसे सफल पीयर्स की स्ट्रेटेजीज़ और डील्स कॉपी करने की वजह से ट्रेडर्स आलसी हो सकते हैं। सिस्टम को बिना समझे और विश्लेषण किए वे दूसरे ट्रेडर को फॉलो करने लगते हैं और उन्हें इस बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं होती है कि एक सफल पियर इतना अच्छा कैसे कर पा रहा है। जब कोई आलसी ट्रेडर हारता है तो यह हमेशा एक हैरत में डालने वाला सरप्राइज होता है।
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एक रोल मॉडल की खोज
हर सफल ट्रेडर यह नहीं चाहता कि उनके पीयर्स उन्हें फॉलो करें। कई ट्रेडर्स, जो सफल होने का दिखावा करते हैं, अपनी कुछ गतिविधियों, डील्स और नतीजों को छुपा के रखते हैं। किसी भी जूनियर ट्रेडर के लिए इस तरह के ट्रेडर को फॉलो करना रिस्की हो सकता है।
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पर्सनल डिस्कम्फर्ट
चलिए एक सफल ट्रेडर की तरफ से प्रॉब्लम को देखते हैं उनमें से कई लोगों को अपनी गतिविधियों पर इतना कंसंट्रेशन और अटेंशन अच्छा नहीं लगता है।
सोशल ट्रेडिंग और कॉपी/मिरर ट्रेडिंग के बीच का फर्क
सोशल ट्रेडिंग में ट्रेडर अपने व्यवहार और स्ट्रेटजी बदल सकते हैं क्योंकि किसी भी एक ट्रेडर को कॉपी करना ठीक नहीं है। कई सारी स्ट्रैटेजिस और मॉडल्स को यूज करने से रिस्क को कम किया जा सकता है।
कॉपी ट्रेडिंग
कॉपी ट्रेडिंग सीधे सीधे डील को कॉपी करने का बिजनेस मॉडल है। कॉपियर एक्सपीरियंस्ड ट्रेडर की तरह ही सेम डील को ओपन करता है। कभी-कभी कॉपियर्स डील को ऑटोमेटेकली रिपीट करने के लिए ट्रेडिंग टर्मिनल भी सेट कर देते हैं। अगर इस स्ट्रेटजी को मॉनिटर ना किया जाए तो यह काफी रिस्की है। आप इनके बारे में नीचे पढ़ सकते हैं।
मिरर ट्रेडिंग
यह मॉडल ज्यादा जटिल है क्योंकि फॉलोअर्स ना सिर्फ डील्स बल्कि स्ट्रेटेजी को भी कॉपी करते है। उदाहरण के लिए लो मार्केट पर थ्रेड के साथ साथ खेलना। मिरर ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग की अच्छी समझ चाहिए होती है और इसे ऑटोमेट नहीं किया जा सकता।
क्या सोशल ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल है?
इस सवाल का कोई एक जवाब नहीं है। सोशल ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल हो सकती है, वरना ये सामने ही न आती। कई सारे बिजनेस में क्लास के बेस्ट प्लेयर को फॉलो करना सक्सेस का शॉर्टकट होता है। यही प्रिंसिपल फॉरेक्स ट्रेडिंग में भी काम करता है। ट्रेंड को फॉलो करके प्रॉफिट पाना थोड़ा आसान है।
पर ट्रेडिंग फिर भी एक हाई रिस्क बिजनेस है। फाइनेंशियल मार्केट में उतार चढ़ाव होती है। कुछ ही मिनटों में स्थिति पूरी तरह से बदल सकती है और कई ट्रेडर्स अपने इन्वेस्टमेंट भी खो सकते हैं। थोड़ी रिसर्च करिए और बड़े मार्केट क्रैशेस के बारे में पढ़िए। आप देखेंगे कि कई हजारों लोगों ने एक ही बार में अपने पैसे खो दिये थे। क्या इसका मतलब यह है कि आपको ट्रेडिंग और खास तौर पर सोशल ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए? बिल्कुल नहीं।
हर बिजनेस जोखिम भरा होता है और असफलता तो किसी भी इंडस्ट्री में हो सकता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 6 बार दिवालिया हुए थे। यह मत भूलिए कि जोखिम और संभावित लाभ के बीच में एक सीधा सम्बन्ध होता है। बिना जोखिम के आप कभी भी ढेर सारा पैसा नहीं कमा सकते।
सोशल ट्रेडिंग मुनाफे वाला है लेकिन आपको सही तरीके से अपने जोखिम को सहने की क्षमता को समझना चाहिए और कभी भी वह पैसा इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए जिसे आप खोना सह नहीं सकते हैं।
सोशल ट्रेडर्स को किस बारे में जागरूक होना चाहिए?
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ख़राब मैनेजमेंट
ट्रेडिंग में हर ट्रेडर अपनी गतिविधियों को मैनेज करता है। सोशल ट्रेडिंग में यंग ट्रेडर्स कई बार भूल जाते हैं कि ट्रेड मैनेजमेंट के लिए उन्हें कुछ मेहनत करने की जरूरत है, खासतौर पर स्ट्रेटजी को समझ के लिए। यह एक ट्रैप होता है: अगर आप डील्स को केवल कॉपी करेंगे तो आपके पास कोई पर्सनल अनुभव नहीं होगा और आप अपने पैसे खो देंगे।
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पोर्टफोलियो डायवर्सिटी की कमी
क्लासिक ट्रेडिंग में पोर्टफोलियो डाइवर्सिटी का मतलब होता है कि कई सारे एसेट्स में इन्वेस्ट किया जाए: स्टॉक्स करेंसीज आदि। सोशल ट्रेडिंग में इसका मतलब होता है एक ही एरिया में ट्रेडर्स को फॉलो करना। अगर मार्केट में गिरावट होती है तो डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो वाला ट्रेडर अपने दूसरे असेट्स के साथ अपने लॉस को कम कर सकता है।
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किसे फॉलो करना है, जाने
जैसा कि हमने पहले बताया: कई वजहों से कुछ ट्रेडर्स दिखावा करते हैं कि वे ज्यादा सक्सेसफुल है। प्लेटफार्म की रेटिंग भी सही नहीं होती हैं। रेटिंग में ऊपर बढ़ने के लिए कई ट्रेडर्स रिस्की डील्स करते हैं। यंग ट्रेडर्स को समझना चाहिए की अनुभवी ट्रेडर्स भी इंसान ही हैं, जिनके कमजोर और मजबूत साइड्स होते हैं। उनमें से कोई लॉंग टर्म स्ट्रेटजी में स्ट्रांग हो सकता है, जबकि दूसरा कोई बहुत ही शानदार शार्ट टर्म डील्स कर सकता है। फॉरेक्स ट्रेड कॉपीयर को सिस्टम को समझ कर के सबसे अच्छे प्रैक्टिसेज फॉलो करनी चाहिए।
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जोखिम की कोई समझ ना होना
नए ट्रेडर्स इस बात को नहीं समझते कि उनकी स्थिति उनके सफल पीयर जैसी नहीं है। एक सफल पियर जोखिम वाले डील्स सह सकता है क्योंकि उनके पास फाइनेंशियल सेफ्टी कुशन होता है। जब कोई फाइनेंशियल ट्रेडर कोई जोखिम वाले डील ओपन करता है, तो वह एक लॉस को भी सह सकता है। लेकिन एक नया ट्रेडर जोखिम को ठीक तरह से मूल्यांकन नहीं करता है।
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टाइमिंग
हाई वोलैटिलिटी के समय मार्केट में उतार चढ़ाव जल्दी-जल्दी होता है। जब कॉपियर ज्यादा अनुभवी ट्रेडर को फॉलो करता है तो साथ में मार्केट भी बदलती है। कुछ ही सेकंड में प्राइस बदल सकता है और इसके नतीजे भी अलग हो सकते हैं।
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घोटाला
घोटाला किसी भी मुनाफे वाले बिजनेस में हो सकते हैं। यह दुखद है पर सच है। तो अपने पैसे को इन्वेस्ट करने से पहले डिटेल में रिसर्च करिए। गूगल और फोरम्स पर मौजूद इनबिल्ट सर्च इंजन और वेबसाइट्स को यूज करके उन ट्रेडर्स के बारे में जानकारी ढूंढिए जिन्हें आप फॉलो करना चाहते हैं, और उन प्लेटफार्म के बारे में भी जानिए जिसे आप इस्तेमाल करना चाहते हैं।
निष्कर्ष: तो क्या सोशल ट्रेडिंग काम करती है?
ट्रेडिंग में सोशल ट्रेडिंग एक नया टर्म है। कुछ लोग ट्रेडिंग कम्युनिटी के लिए इसकी वैल्यू को भी रिजेक्ट कर देते हैं। कम से कम हम पेअर ट्रेडिंग, मेंटरिंग और अनुभवी और नए ट्रेडर्स के बीच में नॉलेज ट्रांसिशन के दूसरे फॉर्म को जानते हैं।
लेकिन इंटरनेट ने हमारी जिंदगी बदल दी है, और इसमें बिजनेस कम्युनिकेशन भी शामिल है। इसका नतीजा यह है कि ट्रेडर्स की कम्युनिटी में एक नया ट्रेंड है: सोशल ट्रेडिंग। यह शिक्षा और बिजनेस का एक मिश्रण है। सोशल ट्रेडिंग मार्केट को तब तक मजबूत करेगा जब तक यह अप्रासंगिक नहीं हो जाता, और ऐसा अभी जल्द नहीं होने वाला है।
तो अगर आप ट्रेडिंग में रुचि रखतें है और बातचीत करने मे अच्छे हैं तो सोशल ट्रेडिंग आपका विकल्प हो सकता है।